मैं तुझे ही खत लिखूं -07-Jan-2022
मैं तुझे ही खत लिखूं
मैं तुझे ही खत लिखूं,
तुझे ही अपने प्रेम का एहसास लिखूं,
सांसों की उठती गिरती धड़कनों को,
तुझे ही सुनाऊं मैं,
मैं तुझे ही खत लिखूं,
सांसों में खुश्ब बन छुपा लूं तुम्हे,
तुम्हारे हर शब्दों को एक खत में मैं लिखूं,
दिया बाती बन मैं तेरे साथ रहने का वादा लिखूं
प्रेम लिखूं, मनमीत, लिखूं,
तुझे ही मैं अपना दिन रात लिखूं,
मैं तुझे ही खत लिखूं,
हर बार रह जाते अधूरे,
फिर भी मैं लिखती हूं,
हर बार मैं तुझसे ये कहती हूं,
लिखती नहीं मैं केवल खत,
लिखती हूं अपना हाल ए दिल,
लिखती हूं अपनी खामोशियों को,
लिखती हूं मैं अपने जज्बात,
धड़कन लिखूं, जान लिखूं,
तुझपर ही मैं अपनी सारी कविताएं लिखूं,
मैं तुझे ही खत लिखूं,
आज मैं अपना वो अनदेखा रूप लिखती हुए,
जो तेरे आने से और निखर गया
तुझे ही अपका जीत हार लिखती हूं,
कभी दूरियां तो कभी मिलन की रात लिखती हूं,
आज मैं तेरे बातो का अंदाज लिखती हूं,
तेरा हर बात सरलतम शब्दों में,
आज मैं तेरे सरलतम शब्दों को लिखती हूं,
जितने भी गम मुझे मिले तूने उसे जब्त कर लिए,
आज मैं तुझे ही अपनी जिदंगी लिखूं,
मैं तुझे ही खत लिखूं।
प्रिया पाण्डेय "रौशनी"
दैनिक प्रतियोगिता हेतु
######lek
Ravi Goyal
08-Jan-2022 09:06 AM
वाह बहुत खूब 👌👌
Reply
Seema Priyadarshini sahay
07-Jan-2022 11:35 PM
👌👌
Reply
Swati chourasia
07-Jan-2022 11:45 AM
Very nice 👌
Reply